नब्बे की दशक का याद दिला रहे है राजद विधायक गुलाब यादव, विधायक का जन्मस्थली विकास की आश मेँ उन्हेँ तलाश रहा है



न्यूज़ डेस्क पटना
लालू जी की सरकार तो आपको याद होगी नहीं याद है तो मैं याद दिला देता हूँ । नब्बे के दशक मेँ लालू जी जनता दल के चक्र पर सवार होकर बिहार के मुखिया बने थे और पंद्रह वर्षो तक लालू राबड़ी ने बिहार की बागडोर सम्हाली । इस दौरान युवा विकास की आशा मेँ उनके ओर टकटकी लगाए हुए देख रहे थे । जबकि विकास किसी कोने मेँ सिसक रही थी, सिसक क्या रही थी दहाड़े मार कर रो रही थी । सड़क,  स्वस्थ्य, शिक्षा , विधि व्यवस्था सब चौपट हो गए थे । मधुबनी से पटना की दूरी तय करने मेँ आठ से दस घंटे लगने लगे थे । ग्रमीण सड़को की हालत और भी जर्जर हो गयी थी । लालू जी के बाद नीतीश जी आए और लालू प्रसाद यादव एवं नीतीश कुमार के बीच नूराकुश्ती शुरू हो गयी और इस नूराकुश्ती के बीच से निकलकर युवा नेता के तौर पर लालू पुत्र तेजस्वी यादव ने दस्तक दिया । इस दौरान दुनिया काफी बदल गया, खेत खलिहानों से प्रचार करने वाले लालू प्रसाद यादव ट्विटर और फेसबुक पर छा गए । लेकिन राजद मेँ कुछ नहीं बदला तो वह है उनके विकास करने की नीति । ताजा उदाहरण झंझारपुर विधानसभा का है यह वही विधानसभा जहाँ के विधायक गुलाब यादव है । फिलहाल गुलाब यादव राजद के लालटेन से झंझारपुर लोकसभा से चुनाव लड़ रहे है । वे तीन वर्ष से अधिक समय से झंझारपुर विधानसभा के विधायक भी है उन्होने सूबे के तत्कालीन ग्रमीण विकास मंत्री नीतीश मिश्रा को परास्त किया था । गुलाब यादव के कामों को देखना है तो उनके खुद के गाँव घूम आइए । गुलाब यादव का पैतृक गांव है गंगापुर । गुलाब यादव के राजनीति में आने के बाद गांव को लोग उत्साहित थे। उन्हें लगा गंगापुर का बेटा गांव का कायाकल्प कर देगा। और ग्रामीणों ने उन्हेँ जीत दिलाने मेँ पूरा ताकत झोंक दिया था और गुलाब यादव जीत भी गए लेकिन गाँव वहीँ ठहर गया । समय गुजरने के साथ ही ग्रामीणों का उत्साह आक्रोश में बदलने लगा है । गुलाब यादव की राजनीति पंचायत समिति से शुरू हुई वे दो कार्यकाल तक झंझारपुर प्रखंड के प्रमुख भी बने फिर पहली बार 2015 मेँ वे राजद के टिकट से विधायक बने । अब महागठबंधन की तरफ से संसद जाने का रास्ता खोज रहे है। इतना लंबा सफर तय करने के बाद गांव की हालत में अपेक्षित बदलाव न होने से गांव के लोग निराश होने लगे है। गांव की आबादी करीब आठ हजार है, और वोटर लगभग 3500 है। यहाँ के लोगो का दर्द चुनावी कवरेज करने गए  मीडिया कर्मी के कैमरे के सामने खुलकर सामने आया। अशोक कुमार यादव ने कहा पहले गांव में ही जनवितरण प्रणाली की दुकान थी। अब नही है। चार किलोमीटर दूर गुनाकरपुर जाना पड़ता है। कुछ दूर खड़े बृद्ध ने कहा गुलाब गांव पर ध्यान नही देता। पेंशन के लिए दौड़ रहे है। एक पशुपालक का कहना है कि गांव में एक हजार से ज्यादा मवेशी है, मगर उनका इलाज झोला छाप डॉक्टर से ही होता है। मवेशी इलाज के साथ मनुष्य के इलाज का भी यही हाल है।  मुशहरी की महिला का आक्रोश कैमरा देखते ही फट पड़ा। सीधा आरोप लगाया कि मुशहरी के लिए कुछ नही किया। एक सामुदायिक दालान तक नही बनाया गया । इन महिलाओं का कहना था कि जो अपने गांव का विकास नही किया वो झंझारपुर का विकास क्या करेगा । madhubanimedia.com की टीम आगे बढ़ती है तो गांव के कीचड़ से लदबद सड़के दिखती है। गांव की मुख्य सड़क के अलावा कही भी सड़के पक्की नही है। कुछ जगहों पर सात निश्चय योजना से बने पानी नल की टोटी दिखती है, मगर पानी उगलने में अक्षम थी। जानकारी लेने पर पता लगा कि विधायक के गांव में जनवितरण दुकान, सामुदायिक भवन, उप स्वास्थ्य केंद्र, पशु चिकित्सालय नही है। एक प्राइमरी स्कूल है। जिसमे 690 नामांकित बच्चो को पढ़ाने के लिए 6 शिक्षक पदस्थापित है। विकास के नाम पर 6 आगनबाड़ी केंद्र, मुख्य सड़क, विधायक का भव्य आवास और बिजली दिखती है। गांव के बेटे पर किया गया विश्वास दरकता हुआ प्रतीत होता है।


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