1200 किलोमीटर तक सफर करने वाली यह साइकल यात्रा एक बिहारी के लिए शर्म की बात है या गर्व की बात है

आजकल ये फोटू खूब चर्चा मे है लोगों को इस बेटी पर गर्व हो रहा है परंतु मुझे समझ नही आ रहा है मैं गर्व करूं या शर्म । सवाल यह है की क्या हम इतने गए गुजरे है की हमारी बहन बेटी को साइकल से और पैदल सैकड़ों किलोमीटर का सफर करना पड़ता है और हम हाथों मे एंड्रॉयड मोबाइल लेकर घूमते है और फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम पर अपडेट करते फिर रहे है की बिहार की बेटी पर मुझे गर्व है? अखिलेश यादव से लेकर इवांका ट्रम्प के इनाम एवं तारीफ़ को हम बिहारी ने अपना सोशल मीडिया का स्टेटस बना दिया लेकिन क्या एक बिहारी के जेहन में यह सवाल याद आया की हम आखिर इतने लाचार नेतृत्व मे कैसे रहते है जिनके संरक्षण के बावजूद जनता भूखे नंगे रहने को विवश है ? लाचार है ? अपने बहन बेटियों के सहारे चलने को मजबूर है? और वे नेतृत्वकारी बस अपना पीठ थपथपा कर और कागजी आंकड़े ठीक कर कहते है हमने अपना सबसे बेस्ट किया? निश्चित तौर पर इस बेटी ने जो किया वह एक पीता के लिए गर्व की बात है लेकिन यदि इस समाज का बिहारी यदि कहता है की इस बेटी पर मुझे गर्व है तो मुझे ऐसे बिहारी पर शर्म महसूस होती है! जिसके वजूद मे रहने के बावजूद हमारी बेटियां सड़क