मधुबनी। राजेश रंजन शशि
आशा का प्रोत्साहन राशि भुगतान रोकना डॉक्टर साहेब को मंहगा पड़ गया जिलेे के सभी पीएचसी के 21 डॉक्टर सहित 84 हेल्थ मैनेजर, बीसीएम और लेखापाल के वेतन पर सिविल सर्जन ने रोक लगा दी है। इनपर आशा की प्रोत्साहन राशि और अन्य मदों की राशि लंबित रखने का आरोप है। सभी पीएचसी में इस मद की राशि रहने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया। ऐसे में आशा का भुगतान अद्यतन होने तक सभी के वेतन पर रोक लगी रहेगी।
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक लोकेश कुमार सिंह से लेकर कई उच्चाधिकारी आशा के लंबित प्रोत्साहन राशि के भुगतान को लेकर अलटीमेटम दे चुके हैं। सिविल सर्जन भी इन तमाम लेटरों का हवाला देकर भुगतान अद्यतन करने को लेकर सभी प्रभारियों को लिखा गया पर अबतक आदेश का अनुपालन नहीं हुआ। 5 जनवरी को समाहरणालय सभागार में जिला टास्क फोर्स की बैठक में डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने भी नाराजगी जताते हुए 10 दिनों के अंदर आशा के सभी तरह के भुगतान को अद्यतन करने का निर्देश दिया था । जिले में करीब चार हजार आशा कार्यकर्ता कार्यरत हैं। इनके बदौलत ही विभाग में सभी राष्ट्रीय कार्यक्रम भी संचालित होते हैं। बावजूद प्रोत्साहन राशि रोकना विभाग के कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। सिविल सर्जन डॉ. अमरनाथ झा ने कहा कि हर प्रभारी को सख्त निर्देश है कि वे अपने संस्थान से जुड़े आशा के प्रोत्साहन राशियों का भुगतान अद्यतन रखें। बावजूद इसके भुगतान लंबित रखना उनकी स्वेच्छाचारिता को दर्शाता है। मासिक बैठक में भी प्रभारियों को आशा के भुगतान अपटूडेट रखने का निर्देश दिया जाता है।लेकिन हर पीएचसी में लंबे अरसे से भुगतान बैकलॉग है। सभी प्रभारियों को सख्त निर्देश दिया गया है कि जबतक सभी आशा का लंबित भुगतान खाते में ट्रांसफर नहीं कर दिया जाता है तबतक डॉक्टर, हेल्थ मैनेजर, बीसीएम और लेखापाल के वेतन पर रोक लगी रहेगी।
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