बिन्देश्वर चौधरी : अंधराठाढ़ी रेफरल अस्पताल को एक उद्धारकर्ता की तलाश में है. वर्तमान हालात में खंडहर में तब्दील अंधराठाढ़ी रेफरल अस्पताल अपने मूल उद्धेश्य से भटका हुआ नजर आता है. 36 बेड का रेफरल अस्पताल फिलहाल 9 बेड के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में चल रहा है. ग्रामीणो क्षेत्र में बेहतर इलाज और रोग की सेवा उपलव्ध कराना रेफरल अस्पताल की मूल अवधारण थी. ताकि बडे अस्पतालो पर रोगियों का दबाब कम रहे और सुदूर ग्रामीणो इलाके के गरीबो को बेहतर इलाज उपलब्ध हो सके. मगर अंधराठाढ़ी का ये बदहाल अस्पताल क्षेत्र के लोगो को डरावना एक भूतों का बसेरा बना पड़ा है. अस्सी के दशक में 36 बेड के इस रेफरल अस्पताल का उदघाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री दिनेश कुमार सिंह ने किया था. देखरेख के अभाव में अस्पताल का अपना पुराना भवन जर्जर हो जाने के कारण इसे परित्यक्त घोषित कर दिया गया है. विगत आठ वर्षो से अंधरा के पीएचसी भवन में ही रेफरल अस्पताल चल रहा है.
पीएचसी भवन भी के साथ-साथ स्टाफ रूम आदि पूरी तरह जर्जर बन गया है. आउटडोर और इमरजेंसी वार्ड के अलावा प्रायः सभी पुराने भवन की हालत भी जीर्ण-शीर्ण और जर्जर है. दवाखाना, एक्सरे और प्रसव कक्ष आदि की हालत भी बद से बदतर है. फिलहाल अस्पताल में महिला चिकित्सक समेत कुल 11 चिकित्सक कायर्रत है. स्टाफ रूम जीर्ण-शीर्ण रहने के कारण एएनएम एवं अन्य स्टाफ को किराये के मकान में रहना पड़ता है. अधिकांश चिकित्सक अपने सप्ताहिक डयूटी समाप्त होने के बाढ़ चले जाते है. चिकित्सको के बैठने की कमी के कारण प्रतिदिन मात्र एक आउटडोर चलता है. केवल एक चिकित्सक के द्वारा आउट डोर चलाने से रोगी को लंबे समय तक लाईन में लगना पड़ता है. तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री नितीश मिश्रा ने स्वास्थ्य विभाग को रेफरल अस्पताल के जर्जर भवन के जीर्णोद्धार और विशेष चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा था. पत्र के आलोक में स्वास्थ्य विभाग ने प्राक्कलन भी तैयार करवाया था. मगर तकरीबन पांच साल बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुयी है.
कहते है अधिकारी
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ उमेश राय के मुताबिक मौजूद हालात में बेहतर प्रबंधन हमारा प्रयास है. जिला शल्ये चिकित्सा पदाधिकारी मधुबनी के माध्यम से राज्य स्वास्थ्य समिति को रेफरल अस्पताल के जर्जर भवन के जीर्णोद्धार के लिए लिखित अनुरोध किया गया है.
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