मधुबनी ज़िले के अंधराठाढ़ी प्रखंड के मैलाम गाम में शुक्रवार को श्रद्धा उल्लास के संग ग्राम देवता बगहेल ठाकुर तथा गांव के युग पुरूष महाराज नृसिंह नाथ की पूजा अर्चना धूमधाम से संपन्न हुआ. बाबा के वार्षिकोत्सव पूजा में चढ़ बढ़कर ग्रामिणों ने हिस्सा लिया. बाबा की पूजा प्रत्येक वर्ष आषाढ़ में होता है. एक दिवसीय इस पूजा में गांव के सभी समुदायों के लोग भाग लेते हैं और बाबा की पूजा कर सामुहिक प्रसाद ग्रहण करते हैं.
मैलाम स्थित बाबा नृसिंह की गाथा दूर-दूर तक प्रचलित है. बाबा अभी भी झोपड़ी में हैं कई बार ग्रामिणों ने मंदिर बनाने की सोची लेकिन बाबा ने विभिन्न माध्यमों से अपना जवाब प्रत्येक बार ना में दिया. आस-पास के गांव में बाबा की महिमा इतनी है कि उनके नाम से कोई झूठा शपथ तक नहीं लेता है. इतना ही नहीं, नृसिंह महाराज को मैलामवासी युग पुरूष मानते हैं और बिना उनसे इजाज़त लिए बिना गांव में कोई बड़ा कार्य नहीं किया जाता है.
बाबा के स्थापना के बारे में राजपुरोहित पंडित स्व. लीलाधर झा के पौत्र पंडित श्रवण कुमार झा कहते हैं कि बाबा की स्थापना करीब 7-8 सौ वर्ष पहले हुई थी. जो कि महामहोपाध्याय पंडित श्री मदन मोहन उपाध्याय के वंशज चित्रधर उपाध्याय ने की थी. चित्रधर उपाध्याय को भगवती से वरदान प्राप्त था और वे जहां भी स्नान करते थे भगवती स्वयं वहां उनके लिए घाट और पहनने के लिए कपड़ा लेकर उपस्थित रहतीं थी.
बाबा नृसिंह के स्थापना के दिन की एक कहानी बहुत ज़्यादा प्रचलित है. बाबा की स्थापना और तालाब में यज्ञ किया जा रहा था. नियमानुसार तालाब के चारों कोणों का यज्ञ सूर्यास्त से पूर्व ही संपन्न होना अनिवार्य है, तभी उस यज्ञ को सफ़ल माना जाता है. लेकिन तीन कोणों के यज्ञ संपन्न होते-होेते सायंकाल हो चुका था. तब ग्रामीणों ने यज्ञ के आचार्य चित्रधर उपाध्याय से विनती की और निर्विघ्न यज्ञ संपन्न करवाने के लिए विनती किए और फिर आचार्य श्री ने सूर्य को मध्य रात्रितक बांधे रखा. यज्ञ संपन्न हुआ और तब जब देखा गया तो रात्रि के करीब एक बजे का वक्त हो रहा था. ऐसा ही एक यज्ञ चित्रधर उपाध्याय के भतीजे धीरेन्द्र उपाध्याय मधुबनी के जमसम गांव में भी किये थे.
बाबा के इस पूजा में उग्रानंद ठाकुर, अनिल पाठक, मोहन मिश्र, सुमन कांत झा, अशोक कुमार झा, पंडित भैरव झा और पुजारी बौआकांत झा सहित पूरे गांव के लोगों ने चढ़ बढ़कर हिस्सा लिया.
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