जिस अस्पताल का चपरासी सफेद कुर्ता पैजामा पहनकर ड्यूटी करता हो उस अस्पताल मे मरीजों को कितना बोलने का मौका मिलता होगा?

 


कल डाक्टरों का हंगामा हो रहा था । बहाली के लिए आए डॉक्टरों को अचानक से बोला गया था आप पहले कोरोना टेस्ट कराइए फिर आप फॉर्म जमा कर सकते है। चारो तरफ अफरातफरी का माहौल था हजारों बेरोजगार डॉक्टर कड़कती धूप मे खड़े होकर कोरोना टेस्ट करा रहे थे जिसमें महिला डॉक्टर भी अपने बच्चों के साथ मौजूद थी। एक डॉक्टर ने फोन किया पत्रकार जी हमलोग कोरोना टेस्ट कराने के लिए लाइन मे है और पुलिस हमे पीट रही है । हम भी कैमरा कंधो पार लेकर निकल पड़े । खबर बनाया काफी भीड़ थी पुलिस को भीड़ नियंत्रण के लिए हल्की बल प्रयोग करने पड़ रहे थे । इस दौरान कड़ी धूप मे हालत खराब हो गयी थी लेकिन अस्पताल प्रबंधक का बाइट जरूरी था इसलिए उनके कार्यालय पहुचे । प्रबंधक डॉक्टर SS झा शाहब बड़े ही सभ्य थे उन्होने बैठने के लिए कहा तब तक जीविका दीदी चाय लेकर आयी तो उन्होने आग्रह किया चाय पीने के लिए । मेरे साथ abp न्यूज़ के अजयधारी जी थे उन्होने कहा मैं चाय नही पिता हूँ जिसके बाद मैं ने कहा यदि पानी पिलाए तो चाय जरूर पिएंगे । उन्होने बाहर कुर्ता पैजामा पहने नेता टाइप चपरासी को आवाज लगायी और पानी का बंदोबस्त करने को कहा जिसके बाद चपरासी अनमने भाव से एक गिलास निकाला और महज एक गिलास पानी प्रबंधक डॉक्टर SS झा सहाब को पकड़ा दिया और बाहर जाने लगा। मुझे काफी तेज प्यास लगी थी तो मैं ने जाते हुए एक बार फिर उन्हे आग्रह किया plz एक ग्लास और पानी दीजिएगा लेकिन वह बड़बड़ाते हुए बहार निकल गया और फिर वापस नही लौटा। फिर मैं ने डॉक्टर शाहब को बाइट के लिए आग्रह किया जिसे उन्होने मना कर दिया। जिसके बाद हमलोग आज्ञा लेकर बाहर बाहर निकलने लगे तो उन्होने कहा आपने चाय नही पिया तो मैं ने कहा पहले प्यास लगी है जिसे चाय से नही बुझाया जा सकता है। चाय प्यास को और बढ़ा देगा । फिर हम टहलते हुए बाहर निकल गए इस सोच के साथ की जिस अस्पताल का एक अदना सा चपरासी प्रबंधक का बात नही मानता है उस अस्पताल का हालत क्या होगा यह तो भगवान ही जाने। फिर जल्दी से भागकर अजयधारी जी के ऑफीस पहुचकर पानी पीकर प्यास बुझाया। इतने समय मे मैं काफी बेदम हो चुका था। iso मान्यता प्राप्त इस सदर अस्पताल की कुछ और जानकारियां साझा करूंगा तब तक बिना इलाज के इस अस्पताल का कुप्रबंधन झेलते रहिए।

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