प्रखंड परिक्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति ,रतजगा करने के लिए मजबूर है तटवंध किनारे के लोग


बिन्देश्वर चौधरी : अंधराठाढ़ी 
पिछले दिनों हुई तेज वर्षा ने अंधराठाढ़ी  प्रखंड परिक्षेत्र में बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी है। अनूमन कमोवेश सभी पंचायतो के लोग संकट में है। 15 अगस्त को स्थानीय कोशी निरीक्षण भवन परिसर में आयोजित कार्यकर्त्ताओ की एक बैठक को सम्बोधित कर रहे विधान पार्षद व पूर्व मन्त्री राम लखन राम रमण ने कहा कि क्षेत्र की पूरी आबादी आज किसी न किसी तरह बाढ़ से प्रभावित है । नीचले स्थानों के घरो में पानी भरा है। मात्र पकाने खाने की नहीं सोने बैठने पर भी आफत है। सर्पदंश , डायरिया आदि महामारी फैलने और इलाज के बिन रोगियों के मरने का भय है। पशुओं के चारे और रहने की जगह की कमी है। जगह-जगह सड़के टूट गयी है। बच्चों की पढ़ाई और सहज आवा गमन भी वाधित है। श्री रामन ने खुलासा किया कि प्रशासन से उनकी बाते हो चुकी है। सरकारी दिशा निर्देशो के अनुसार वे लोग अपने दायित्वों का निवर्हन कर रहे है। उन्होंने सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं का आवाहन करते हुए कहा कि वो आगे आकर सरकार के साथ सहयोग करें ।  क्योंकि  किसकी गलती और किसकी भूल आदि जैसे सवालो में उलझने के वजाय पीडितो तक सुबिधायों पहुँचाने में लोगों के सहयोग की ज्यादा जरुरत है। स्थिति की भयावहता की जानकारी सरकार तक पहुचाने और प्रशासन को सक्रिय रखने की जिम्मेवारी उनकी है। वैठक में जयवीर यादव , शोभा यादव , रामचंद्र यादव , ननोर , हरड़ी पंचायतो के मुखिया आदि दर्जनों नेता कार्यकर्ता वैठक में मौजूद थे।

रतजगा करने के लिए मजबूर है तटवंध किनारे के लोग 

मधुबनी मुख्यालय के पूर्व में कोशी की सहायक नदी कमला बलान बहती है । अंधराठाढ़ी प्रखंड की पंचायते कमला वलान के तटवंधो से लगी है। इन पंचायतो के लोग मौनसून के दौरान "रतजगा" करने के लिए मजबूर हो जाते हैं । इस प्रखंड की देवहार , शिवा , रखवारी , हरड़ी , कर्णपुर , हरिना और महरैल पंचायते कमला बलान के पूर्वी तटवंध से लगी है। पश्चमी तटवंध में इस प्रखंड की गंगद्वार और मैलाम पंचायते सटी है। इस नदी की तली बहुत उथडी होने के कारण वर्षा ऋतु के समय यह नदी अक्सर अपने तटबंधों को तोड़ कर आस पाँस के पंचायतों में फैल जाती है । पूर्वी तटवंध में भिठौनी , भदुआर , महरैल आदि गॉबो से सटे बाँध में कई संवेदन शील क्षेत्र हैं । इन क्षेत्रों में वर्षा के दौरान दरार पर जाती है और रिसाव व कटाव होने लगता है । इस मानसून के दौरान भी ऐसी स्थिति आयी मगर  विभागीय और प्रशासननिक अधिकारियो की मुस्तैदी ने लोगों की जान बचाई इस के लिये ये सभी अधिकारी बधाई के पात्र हैं । मगर यहाँ के लोग पिछले कई मानसूनों का कटु अनुभव होने के कारण अभी भी डरे हुए है। लोगों ने बाढ़ के समय अपने परिचितों को डूबते , दबाई के आभाव में मरते और बच्चों को भूख से विलखते देखा है। अपने घरों को छोड़ कर उन्हे शरण स्थलो पर पशुबत रहना पड़ता  है। इसलिये यहाँ के लोग रात भर जगते है और तटवन्धों की स्थिति की जानकारी लेते रहते है। ताकि वे अपने परिवार के सदस्यों और पशुधन को बाढ़ में बहने से बचा सके।

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