शबला सेवा संस्थान किसान के साथ मिल इस गांव में करेंगे जैविक खेती
खेतों के सर्वे के लिए आईटीसी के वाइस प्रेसीडेंट ने किया दौरा
फिलहाल गांव के युवा अविनाश ब्राह्मी, वच और कौंच की करते हैं खेती
मधुबनी। राजेश रंजन शशि
मधुबनी अब औषधीय खेती के लिए भी देशभर जाना जाएगा। बाहर की नामी-गिरामी कंपनियां जिले में इसके लिए भविष्य तलाश रही है। शीघ्र ही इस दिशा में पहल शुरू की जाएगी। बाबूबरही के छौरही में सौ एकड़ औषधीय खेती करने की योजना बनाई गई है। अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो आने वाले दिनों में मधुबनी की औषधीय खेती में अलग पहचान होगी। जिला मुख्यालय से करीब तीस किलोमीटर की दूरी पर बाबूबरही प्रखंड में बसा है गांव छौरही। इस गांव के युवा अविनाश कुमार शबला सेवा संस्थान गोरखपुर के सहयोग से औषधीय पौधों की जैविक खेती कर रहे हैं। औषधीय पौधों की जैविक खेती का सर्वे करने आईटीसी लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट (बिजनेस) डॉ. समरेश द्विवेदी और डॉ. टंडन अविनाश कुमार के खेत तक आए। इनलोगों ने विभिन्न खेतों का भ्रमण किया। जिन खेतों में ब्राह्मी, वच और कौंच लगे थे। उन खेतों तक ये लोग पहुंचे। पौधे की क्वालिटी देखी। जानकारी के अनुसार भारतीय खाद्य निगम के बाद आईटीसी लिमिटेड अपने देश की दूसरी सबसे बड़ी संस्था है, जो किसानों से गेहूं खरीदती है। आईटीसी लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट (बिजनेस) डॉ. समरेश द्विवेदी ने कहा कि आने वाले समय में इस गांव में शबला सेवा संस्थान के सहयोग से औषधीय पौधों की जैविक खेती में निवेश करने की संभावना है। आईटीसी संस्था के साथ मिलकर इस गांव में जैविक खेती भी करेंगे। शबला सेवा संस्थान के अध्यक्ष किरण यादव ने बताया कि इस क्षेत्र में आने वाले समय में जैविक खेती का क्षेत्रफल सौ एकड़ से अधिक होगा। बाहरी टीम के साथ अन्य किसान महेंद्र पासवान, रामकुमार और दिनेश कुमार भी थे।
औषधीय खेती से होगा फायदा
क्षेत्र में औषधीय खेती बढ़ने से किसानों की माली हालत सुधरेगी। किसानों का मुनाफा बढ़ेगा। समय-समय पर किसानों को मुफ्त में प्रशिक्षण भी मिलेगा। किसान समृद्ध होंगे। सरकार भी औषधीय और जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है।
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