जो बच्चो को सही से MDM नहीं खिलाते वैसे शिक्षकों के हवाले राहत शिविर का भोजन बन रहा है ! सरकार लाख दावा कर ले पर हकीकत में सबकुछ विपरीत है ! स्कूल को राहत शिविर बनाया गया है और MDM राहत शिविर का खाना है ! वही शिक्षक वही रसोइया बस बदला है तो खाना खाने वाला ! ऐसे ही एक राहत शिविर का हमने जायजा लिया तो हालात बद से बदतर नजर आया ! दाल में दाल ढूंढना पड़ता है ! आलू सोयाबीन की बिना तेल मसाले की सब्जी और चावल ! यह खाना तो तब का है जब मंत्रीजी दौरे पर है !
MDM बना जीने का सहारा
यह साहर घाट का राहत शिविर है जिसमे दो वक्त का खाना लोगो को किसी तरह से नसीब होता है ! रात में ज्यादातर लोगो को खिचड़ी खाना पड़ता है वही दिन में दाल भात सब्जी मिलता है ! इस शिविर में महज दो वक्त खाना मिलता है ! इस कारण से बच्चों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है ! बच्चो को भूख से बिलखते देखकर परिजन अपने स्तर से खाना का इंतजाम करते है !हालांकि शिकायत मिलने के बाद डीएम SP स्वय भी खाना चखकर उसका तारीफ़ कर दिए पर ऐसा नहीं है की बाढ़ पीड़ित गलत कह रहे है !
डॉक्टरों को प्रेक्टिस पर ध्यान
यह तो बात भोजन की है ! इस शिविर में सरकार डॉक्टरी सेवा भी मुहैया कराने का दावा कर रही है ! पिछले पांच दिनों में एक बार डॉक्टर साहब का केम्प लगा था ! जो पीड़ित भी उनके पास गए सभी एक ही किस्म की दवा लेकर पहुंचे चाहे वह सर्दी खांसी बुखार या पैर में इन्फ़ेक्सन लगने का शिकायत लेकर पहुंचा हो हालांकि इस मामले को लेकर जब डीएम को बताया गया तो उन्होंने मामले की जांच करने की बात कही !
पीड़ित और मजबूर
बाढ़ के नाम पर महीनो तैयारी करोड़ो का खर्चा पर जिसके लिए यह सब कुछ किया गया उन्हें ढंग का खाना भी नसीब नहीं हो रहा है !वह तो भला हो स्कूल जो कम से कम MDM खिलाकर लोगो का पेट भर रहे है वरना सरकार का आपदा विभाग तो अपना हाथ खड़ा कर लेता और कहता हम तो चार पांच दिन भूखा रहने वालो को ही हम बाढ़ पीड़ित मानते है !
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