न्यूज़ डेस्क पटना
गोरखपुर में हुए सिलसिलेवार बच्चों की मौत आपको याद है ! यदि राजनितिक चर्चाओं की वजह से भूल गए होंगे तो मधुबनी का यह आईएसओ मान्यता प्राप्त सदर अस्पताल घटना को भूलने नहीं देगा ! यह अस्पताल चार महीनों में 43 बच्चों की मौत का गवाह बन चुका है ! मौत बांटती इस अस्पताल में अप्रैल महीने में अब तक 13 मौते हो चुकी है जबकि जनवरी 2019 से अबतक अस्पताल में 43 बच्चो काल की गाल में समा चुके है ! आंकड़ों पर गौर करें तो अस्पताल की दायनीय स्थिति का अंदाजा आप सहजता से लगा सकते है ! शिशु वार्ड का पिछले कई महीनो से लगाए गए सभी दस एसी खराब है और जनवरी से अभी तक 414 बच्चे अस्पताल में भर्ती हुए है ! जिसमे महज 198 बच्चे स्वास्थ्य होकर अपने घर लौटे जबकि 124 बच्चों को गंभीर होने की वजह से अन्य अस्पतालों में रेफर कर दिया गया ! इस दौरान 43 बच्चे की मौत भी हो गयी ! परिजनों ने अस्पताल में कोई भी दवाई नहीं है सभी दवाई बाहर से खरीदकर लाते है ! देखभाल की कोई व्यवस्था नहीं है ! शिशु वार्ड के रखरखाव के लिए आठ लाख का वजट रखा गया है लेकिन वार्ड में सुविधा के नाम पर कुछ भी देखने को नहीं मिलता है ! साफ़ सफाई नदारत रहता है ! बीमार बच्चे के परिजनों को दवाई खुद से खरीदना पड़ता है ! कई वार तो बच्चो को गोद में लेकर घंटो बैठना पड़ता है ! महज तीन डॉक्टरो की देखरेख में एसएनसीयू वार्ड के बीमार बच्चे डॉक्टरों के भरोसे कम और भगवान भरोसे अधिक जी रहे है ! सीएस मिथिलेस कुमार ने बताया की जांच टीम गठित कर चौबीस घंटे में रिपोर्ट माँगा गया है ! उन्होंने मौत के आंकड़ा पर कुछ भी बोलने से इंकार किया है ! हालांकि उन्होंने एसी खराब होने पर अटपटा सा जबाब दिया और कहा मेरे घर का एसी खराब है और यह कभी भी खराब हो सकती है ! उन्होंने कहा एसी ठीक करवाने को कहा गया है !मीडिया की पहल के बाद जिला पदाधिकारी ने तीन सदस्य जांच दल गठित कर दिया है ! देखना है डॉक्टरों और सरकारी तंत्र के लापरवाही के विरुद्ध गठित जांच दल क्या रिपोर्ट कब तक पेस करती है !
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