बिहार के मधुबनी जिले में एक सरकारी चिकित्सक के आवास से पुलिस ने छापेमारी कर 28 कार्टन शराब बरामद किया है. इससे पहले बीते सप्ताह में मधुबनी पुलिस ने 12 सौ लीटर शराब की बरामदगी की है. ताजा मामला में बीते मंगलवार को रहिका पीएचसी में कार्यरत डॉक्टर मणि पंजियार के आवासीय घर से मधुबनी पुलिस ने अठाइस कार्टून में रखा 230 लीटर शराब को जब्त किया गया है. हालांकि डॉक्टर के परिवार से किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई. और पुलिस ने पड़ोसी पर मामला दर्ज कर गिरफ्तारी के लिए दवाव बना रही है. मधुबनी एएसपी एके पांडे ने बताया की गुप्त सुचना के आधार पर किये गए छापेमारी में चिकित्सक मणि पंजियार के पिता दुखःहरण पंजियार के घर में पड़ोसी मनीष चौधरी किरायेदार है. उनके नाम से शराब डम्पिंग का एफआईआर दर्ज किया गया है.
हालांकि जब पुलिस से यह पूछा गया वाहन जप्त होने पर वाहन मालिक पर मामला दर्ज किया जाता है तो मकान से शराब बरामद होने पर मकान मालिक पर मामला क्यों नहीं दर्ज किया जा रहा है. जिसके जवाब में प्रशासन के तरफ से यह बताया गया की जिस घर से शराब की बरामदगी हुई है उस घर को डॉ. मणि पंजियार के पिताजी दुखःहरण पंजियार ने पड़ोसी मनीष चौधरी जो बगल में घर बना रहे है. उनको दो महीने के लिये किराया पर दिया था. इसी लिए मकान मालिक पर मामला दर्ज ना करके पड़ोसी मनीष चौधरी पर मामला दर्ज किया गया है. अभी मामले की जांच-पड़ताल चल रही है. अगर अनुसंधान के क्रम में मकान मालिक की संलिप्तता पायी जाती है तो उनके विरुद्ध मामला जरूर दर्ज किया जाएगा.
अब पुलिसिया कार्रवाई पर यह सवाल उठता है कि आखिर पुलिस छापेमारी के कुछ देर बाद ही बिना किरायानामा देखे मकान मालिक के बयान पर पड़ोसी को कैसे कथित किरायादार बना दिया और बिना जांच के उक्त पड़ोसी पर कैसे मामला दर्ज कर दिया गया. साथ ही जिस पुलिस को छापेमारी से चंद घंटे पहले तक इतने बड़ी मात्रा में शराब डम्पिंग की सुचना नहीं थी और उसने छापेमारी के कुछ मिनटों में डॉक्टर मणि पंजियार के आवासीय घर में बरामद शराब को किरायेदार का शराब कैसे साबित कर दिया.
मधुबनी पुलिस की इस विवादास्पद कार्रवाई के बाद बहुत तरह के प्रश्न उठ रहे है. जिससे इस आशंका से नकारा नही का सकता है कि कहीं ना कहीं मामले में अनुसंधान के क्रम में गड़बड़ी की गई है. जानकारी हो कि इस छापेमारी का नेतृत्व मधुबनी थाना के जेएसआई अरविंद तिवारी कर रहे थे.
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