जैसे जैसे मधुबनी के जमीन का कीमत बढ़ता जा रहा है भू माफिया पूर्व दरभंगा महाराज के दान किये हुए जमीन को हासिल करने में पूरा ताकत झोंक रहे है ! मधुबनी दरभंगा के अधिकतर सरकारी कार्यालय पूर्व दरभंगा महाराज के जमीन पर बने हुए है ! अब उन जमीनों को अपनी तिकड़म और अधिकारियों के मिली-भगत से हासिल करने में भू माफिया ने पूरा ताकत झोंक दिया है ! ये भू माफिया पूर्व दरभंगा महाराज के उस जमीन के खरिदारी का कागजात पेस कर रहे है जिसे पूर्व महाराज के परिवार को बेचने का हक नहीं है ! हालांकि पुराने जमाने के लोगों के तरह सरकार ने पूर्व महाराज से बिना लिखा पढ़ी का जमीन हासिल किया था और उसपर अपना कार्यालय चला रहे है ! सरकार ने कुछ जमीन मकान बतौर किराया पर ले रखा है और उस मकान में तीन चार दसक से सरकारी कार्यालय चल रहा है और सरकार पूर्व महाराज को उस मकान का किराया दे रहा है ! सरकार के कानून के मुताबिक़ इतने पुराने किरायेदार को मकान खरीदने का पहला हक होता है ! पर अफसोस उस जमीन को कम कीमत में भू माफिया ने खरीदते है और भू माफिया से सरकार खरीदती है ! और इस डील में सरकार को साठ से सत्तर कड़ोर का नुकसान उठाना पड़ रहा है !जबकि सरकार उस रजिस्ट्री को केंसल करने आबेदन दे सकती है और रजिस्टार के यहाँ या कोर्ट में जमीन का पैसा जमा कर उस मकान या जमीन का स्वामित्व प्राप्त कर सकता है ! लेकिन सरकार भू माफिया के सामने बौना साबित हो रहा है और इसका सबसे बड़ा कारण है ये भू माफिया ठहरे तिकड़मबाज और जुगाड़ी आदमी सो सरकार के ही आदमी के साथ मिलकर उन जमीनों को हासिल करने में लगे हुए रहते है ! सरकार का अंचल व्यवस्था कमजोर हो चुका है और जमीन का पेंचीदा मामला को सुलझाने के लिए सरकार के तीन विभाग को एक प्लेटफॉर्म पर आना मुश्किल दिखाई पड़ता है और इसे एक प्लेटफॉर्म पर लाने में काफी कठिनाई है और इस बात का फायदा भू माफिया भी उठाते है ! अब देखिये ना एक छोटा सा उदाहरण है, एक निजी आदमी के जमीन को कुछ महादलित दलित और अतिपिछड़ा ने अतिक्रमण कर लिया वह आदमी पिछले एक दशक से जमीन को खाली करवाने के लिए सरकारी कार्यलयों के चक्कर काट रहा है लेकिन खाली नहीं हो रहा है ! हाई कोर्ट आदेश देता है तो अंचल पदाधिकारी लिखता है लॉ एन्ड ऑडर की समस्या है यहाँ कोई बड़ी अप्रिय घटना घट सकती है और यह बात एक दो बार नहीं कई बार लिखा थक हार कर बेचारा वह आदमी जमीन खाली कराये बगैर नौकरी की तलाश में दिल्ली निकल गया और यह उदाहरण एक दो नहीं बल्कि सैकड़ो है ! लेकिन यदि उसी जमीन पर यदि सरकार का कब्जा है तो पालक झपकते भू माफिया से जमीन खरीदने का स्वीकृति दे देते है या सरकार उस जमीन को खाली कर देता है ! अधिकारी यह भी जानना उचित नहीं समझते है की क्या उस जमीन को पूर्व दरभंगा महाराज के किसी पूर्वज को बेचने का अधिकार है ? भू स्वामित्व नियमावली बंदोबस्ती के समय आखिर इस जमीन को किस आधार पर महाराज के परिवार के लिए छोड़ा गया था ? कहीं ऐसा तो नहीं यह जमीन महाराज के विभिन्न ट्रस्ट के अधीनस्थ है जिसे बेचने का कोई अधिकार नहीं रखता है ? मधुबनी में भी कुछ ऐसा ही जमीन है जिसपर भू माफियाओं का पैनी नजर है और कुछ लोकल माहौल बनाकर ,कुछ पेड न्यूज़ के माध्यम से ,कुछ अधिकारियों के सहयोग से हासिल करने में जुगत लगा रहे है ! उन माफियाओं का कहना है मेरा कागज़ मजबूत है मैं ने जमीन का दाखिल खारिज कर लिया है ,लगान जमा कर दिए है और आधिकारिक तौर पर मेरा है ! लेकिन रजिस्ट्री का एक लाइन जो सभी भूल जाते है वह है यह जमीन मेरे कब्जे में है और मैं ने खरीदार को उक्त जमीन का कब्जा करा दिया है !लेकिन सवाल यह है क्या जमीन बेचने वाले उस शख्स ने किरायेदार से पूछा था की क्या आप जमीन या मकान लेने में सक्षम है ? या क्या आपको यह जमीन या मकान चाहिए ? अन्यथा आप खली कर दे यह जमीन मैं अन्य किसी के हाथों बेच दूंगा ! सायद मधुबनी में इस तरह का सवाल पूछना जमीन मालिक को गवारा नहीं ! अधिकारियों कोभी इस फॉरमिल्लीटी की जरुरत नहीं लगता है ! लोग सोचते है यह तो गरीब गुरबा के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है ! मधुबनी के दो बड़े प्लॉट है जिसमे से एक प्लॉट सरकार खरीदना चाहती है वह भी उस शख्श से जिसने बिना कब्जा में जमीन लिए उक्त जमीन एवं मकान को खरीद लिया और सरकार उस जमीन को कई गुना अधिक पैसा खर्च कर खरीदने का स्वीकृति दे चुकी है ! लेकिन सरकार ने कभी भी उस नियम का इस्तेमाल करना मुनासिब नहीं समझा जिसमे कब्जाधारी जमीन मालिक या उस घर में रहने वाले किरायेदार को जमीन खरीदने का पहला हक़ देता है ? दूसरा क्या जमीन मालिक को इस जमीन को बेचने का हक़ है ?लेकिन नहीं इस नियम का लाभ सरकार को नहीं लेना है ! सरकार का रजिस्टार को दाद देना पड़ेगा जिसने स्थल निरिक्षण किये बगैर इस विवादित जमीन पर अपना मुहर लगा दिया है और सरकार के एक बड़े महकमा को सड़क पर ला खड़ा किया है ! सरकार आज खनन नियमावली की बात कर रही है पर क्या सरकार का अंचल सिस्टम ठीक है ? सरकार का राजस्व सिस्टम ठीक है ? क्या लोगों के जमीनी विवाद का निपटारा हो रहा है ? क्या आम लोग इस जमीन का फार्मूला को समझ रहे है ? शायद सभी का जवाव ना में है ! पर कहते है ना ये सिस्टम है सब जानती है !
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