बेटे को डॉक्टर बनाने की ख्वाहिश लिए दफ्तरों की चक्कर लगा रहा है बीमार पिता


टॉपर घोटाले से बदनाम हो चुके बिहार मे कुछ ऐसे भी मेधावी छात्र है जो अपनी मेहनत के बदौलत समाज और सूबे का नाम ऊंचा करने का काम कर रहे है. कुछ ऐसे ही बच्चो में नीतीश कुमार भी शामिल है जिनके सामने गरीबी एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है. ऐसे में नीतीश के डाक्टर बनने का सपना और उसकी प्रतिभा कही इस गरीबी और आर्थिक समस्या के कारण दब कर न रह जाए.

एक ऐसा पिता जो खुद तो बिमार है पर अपने बेटे को डाक्टर बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है. अपने बेटे की पढाई में सबसे बड़ी बाधा उसके सामने आर्थिक समस्या सामने आ रही है. जिससे तंग आकर अब वे डीएम से लेकर सीएम तक को गुहार लगा रहे है. 


क्या है पूरा मामला
मधुबनी के बिस्फी प्रखंड के एक छोटे से गांव जफरा पंचायत में मकदमपुर के रहने वाले नीतीश मार्शल गांव में रहकर पढ़ाई की और अपने खुद के प्रयास से मेडिकल के प्रवेश परीक्षा भी पास की. नीतीश का चयन ANMMC गया में MBBS की पढ़ाई के लिए हुआ है. नामांकन के लिए नीतीश ने दो लाख नौ हजार रुपये एजुकेशन लोन से जुटा लिए जिसे चार वर्षो में बैक ने देने का करार किया हुआ है. लेकिन नीतीश के रहने खाने एवं किताब का खर्च एक लाख अलग से पड़ गया है. पिता अब तो इसके हॉस्टल का खर्च भी उठाने में असक्षम है। लोग एक ओर जहाँ लोग अपने बच्चे को डॉक्टर बनाने के लिए लाखों रुपये डोनेशन देने को तैयार रहते है पर इस पिता के पास उसे भोजन के लिए भी देने के लिए पैसे नहीं है. 

खर्च जुटाने में असमर्थ 
नीतीश के पढ़ाई का कुल डेढ़ लाख सालाना खर्च हो रहे है. लेकिन पिता की मज़बूरी ऐसी है की पढ़ रहे बेटे का यह खर्च देने में वे अक्षम साबित हो रहे है. क्योंकि वह खुद बीमार रहते है खेती भी कुछ नही है. ऐसे में नीतीश के पिता रघुनाथ प्रसाद कुशवाहा सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है. कभी मदद के लिए डीएम कार्यालय के समक्ष घंटो बैठकर मदद के लिए डीएम साहब का इंतजार करते है तो कभी उनके पीए से मिलकर आवेदन देने का प्रयत्न करते लेकिन मधुबनी डीएम के पास इतना समय नहीं है की इस मजबूर पिता से मिल सकें. ऐसे में इस मजबूर पिता रघुनाथ कुशवाहा अब मीडिया को सहारा मान कर चल रहे है.

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उन्होंने बताया की अब आपलोगों के माध्यम से ही कुछ मदत मिलेगा उन्हें आशा है कि मिडिया उनकी मदद को सामने जरुर आएंगे और उनकी बातों को सरकार तक पहुंचाएगे. नीतीश को अब मदद की जरुरत है अब देखना यह होगा कि सरकार की नजर इस पर  कब जाती है.

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