नीतीश कैबिनेट में मंत्री बन सकते हैं विनोद नारायण झा, सुधांशु भी रेस में
बिहार में मचे सियासी घटनाक्रम सुर्खियों में है. नीतीश कुमार छठी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके है और इसी के साथ बिहार की राजनीति का नया अध्याय की शुरुआत हुई है. इससे पहले महागठबंधन की नींव देने वाली जदयू अब एनडीए के साथ है. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नीतीश ने एक बार फिर बिहार को तरक्की के रास्ते पर ले जाने का अपना पुरानी बात दोहराई है. नीतीश ने कहा कि बिहार के विकास के लिए उन्होंने यह फैसला लिया है.
लेकिन इन सब घटनाक्रमों के बाद अब बिहार की राजनिति में हर घन्टे बनते बिछड़ते बिसात पर देश की नज़र टिकी हुई है. आज नीतीश कुमार सदन में अपना बहुमत साबित करेंगे वहीं इस बात को भी लेकर सियासी सरगर्मी तेज है कि नए मंत्रिमंडल में कौन-कौन से नए चेहरे होंगे. बताया जा रहा है कि जदयू और बीजेपी दोनों दल से 13-13 मंत्रियों को शामिल किया जाएगा. जिनमें जदयू के मंत्रियों में कोई खास फेर बदल की संभावना नही है. वहीं बीजेपी से कई नामों पर मंत्री पद के लिए चर्चा चल रही है. जिनमें बीजेपी विधायक दल के नेता प्रेम कुमार, नंद किशोर यादव, विनोद नारायण झा, अवधेश पांडेय, नितिन नवीन, अरुण कुमार सिन्हा, मंगल पांडेय, नीरज सिंह बबलू, ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू सहित कई अन्य नामों की चर्चा चल रही है. इसके परे कल बुधवार को ही यह खबर सामने आई थी कि बिहार मंत्रिमंडल में एनडीए के पूर्व से घटक दल लोजपा, रालोसपा, हम पार्टी को जगह नही मिलने की संभावना है.
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1. विनोद नारायण झा : विनोद नारायण झा वर्तमान में बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता हैं साथ ही एमएलसी भी है. इससे पूर्व वो बेनीपट्टी, पंडौल विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में अपना प्रतिनिधित्व कर चुके है. हालांकि गत विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की लहर में उन्हें महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस प्रत्याशी भावना झा से बेनीपट्टी विधानसभा क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा था. जबकि उन्हें पिछले चुनाव के मुताबिक करीब 20 हज़ार अधिके वोट मिलें थे. श्री झा इस बार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के प्रबल दावेदार भी थे.
2. सुधांशु शेखर : बिहार में एनडीए के घटक दल रालोसपा को अगर बिहार मंत्रिमंडल में जगह दी जाती है वो उम्मीद की जा रही है कि हरलाखी विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुधांशु शेखर इसके प्रबल दावेदार होंगे. हालांकि रालोसपा के पास दो विधायक है जो कि दो खेमों में बंटे हुए है. जिनमें एक खेमा अरुण कुमार का तो एक खेमा उपेंद्र कुशवाहा का है. सुधांशु उनमें से उपेेंद्र कुुुुशवाहा खेमा के माने जाते है. जिसके कारण उनका पक्ष रालोसपा के दूसरे विधायक ललन पासवान से भारी है. गत चुनाव में सुधांशु शेखर के पिता बसंत कुशवाहा हरलाखी से विधायक निर्वाचित हुए थे लेकिन शपथ ग्रहण से पहले उनकी मृत्यु हो जाने के कारण उप-चुनाव में सुधांशु शेखर ने अपनीनी दावेदारी पेश करते हुए जीत हासिल की थी.
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