आज स्थानीय होटल में प्रेस को संबोधित करते हुए बाबुबरही से पूर्व विधानसभा प्रत्याशी एवं भाजपा नेता प्रत्याशी मनोज झा ने बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को हटाए जाने की मांग करते हुए कहा लिखित प्रमाण कहता है कि मिथिला की संस्कृति त्रेता काल से ही अस्तित्व में है. और यह लिखित प्रमाण रामचरित मानस में है. मिथिला और मैथिल इसी संस्कृत में पले और आगे बढ़े. चाहे वह चंद्रयान की सफलता का मिशन हो या फिर वेद उपनिषद् में हमारे योगदान हों हम हर जगह अग्रणी रहे है. हमने वाचस्पति मिश्रा अयाची मिश्र और प्रभाकर मिश्रा जैसे विद्वान इस दुनिया को दिए हैं. हम विद्यापति जैसे कवि के रचनाओं को सुनकर बड़े हुए है. यह सभी हमारे सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाए और हमारे संस्कार को एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी को हस्तांतरण किये जिसके कारण हम मैथिल आज भी दुनियां के कोने कोने में मौजूद है. मैथिल एक जाती में सीमित नहीं है मैथिल सम्पूर्ण मिथिलावासी को कहा जाता है. हमें गर्व होता है कि हम त्रेता कालीन संस्कृति के वाहक है. खुद नीतीश कुमार मिथिलांचल को रामायण सर्किट से जोड़कर यह साबित कर चुके हैं कि मिथिलांचल रामायण कालीन इतिहास का एक महत्वपूर्ण अंग है. रामचरितमानस एक ग्रंथ ही नहीं है बल्कि यह एक सत्य इतिहास है. रामचरितमानस सीता और राम के विराट स्वरूप का एक लिखित प्रमाण है. कोई यदि आज हमारे सीता राम के इस विराट स्वरूप का अपमान करें यह हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. मैं पूछना चाहूंगा चंद्रशेखर जी से क्या वे जब रामचरितमानस पढ़ रहे थे तब उन्हें एहसास नहीं हुआ कि यह साइनाइड है लेकिन जब वह पढ़ लेते हैं प्रोफेसर बन जाते हैं विधायक बन जाते हैं मंत्री बन जाते हैं फिर उन्हें अलौकिक ज्ञान की कहां से प्राप्ति हो गई कि अचानक से कहने लगे की रामचरितमानस तो साइनाइड है? वास्तविकता में मंत्री जी नहीं चाहते कि कोई अति पिछड़ा का बेटा दलित का बेटा या उसके परिजन रामचरितमानस से ज्ञान की प्राप्ति कर उनके समकक्ष पहुंच पाए. चंद्रशेखर जी आपको सनातन धर्म नहीं मानना है ना माने लेकिन आप हमारे धर्म का अपमान नहीं कर सकते हैं यह अधिकार आपको नहीं मिला है. आप रामचरितमानस का अपमान कर संपूर्ण मिथिला का अपमान कर रहे हैं. रामचरितमानस मिथिला के रग रग में बसा हुआ है और उसे साइनाइड कहने का अर्थ है की संपूर्ण मिथिला को आप साइनाइड कह रहे हैं. हम माननीय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जी से मांग करते हैं या तो आप कह दे की मिथिला में रामायण सर्किट नहीं है मिथिला का संस्कृति त्रेताकालिन नहीं है या फिर चंद्रशेखर जी का बयान गलत है और उन्हें इस पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें बर्खास्त करें.
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