नीरज कुमार सिंह ,पिंटू
एक तरफ बाढ़ राहत के लिए लोगों के बिच हहाकार मचा रहा और वहीं दूसरी तरफ मधुबनी के स्कूलो मे बाढ़ राहत सामग्री सड़ रही है ! जहा डीएम एसपी के द्धारा बाढ़ राहत में जल्दवाजी दिखाया गया वहीं निचले स्तर के अधिकारियों के उदासीनता से पीड़ित का निवाला में कीड़े मकोड़े लग रहे है ! मामला मधेपुर प्रखंड के सुंदर विराजित एवं पचही पंचायत का है जहाँ नौ सौ एवं तीन सौ फ़ूड पैकेट माध्यमिक विधालयों में सड़ रहा है !
दरअसल इस पैकेट में चावल दाल सोयाबीन नमक हल्दी सहित खाने का सामान पैक है जिसे बाढ़ पीड़ित परिवार के बिच वितरण किया जाना है ! परन्तु बीडीओ और सीओ के उदासीनता के कारण यह पैकेट सड़ रहा है ! स्थानीय लोग ने बताया की हमलोग महीने भर घर छोड़ कर दूसरे जगह रहे लेकिन राहत के नाम पर कुछ मदत नहीं किया गया !जबकि स्कूल के प्रधानाध्यापक ने बताया हम कई बार बीडीओ और सीओ को सूचि उपलब्ध कराने का आग्रह किये है लेकिन कभी भी सूचि उपलब्ध नहीं कराया गया है !
कुछ ऐसा ही नजारा प्रखंड के पचही गांव स्थित विधालय में तीन सौ पैकेट का भी है जो पीड़ित व्यक्ति के बिच बंटने के इन्तजार में सड़ने लगा है ! फ़ूड पैकेट से दुर्गन्ध आने लगा है ! साथ ही इस पैकेट को रखने के लिए स्कूल के कई कमरे में ताला लगाकर रखा गया है ! साथ ही इस पैकेट को बांटने के लिए चार शिक्षकों का प्रतिनियुक्ति भी किया गया है जो अभी भी बाढ़ राहत के सामग्री वितरण करने का इन्तजार कर रहे है !प्रधानाध्यापक बताया हमें कई बार सूचि लेने के लिए प्रखंड बुलाया जाता है लेकिन दिया नहीं जाता है ! मधेपुर सीओ बताया की हम कल से ही फ़ूड पैकेट बंटवाने का काम सुरु कर देते है !
सवाल बड़ा है क्या दो महीना से खुला जगह में रखा गया फ़ूड पैकेट सही है ? क्या कीड़े मकोड़े युक्त खाना का बितरण करना जायज है ? और सवाल यह भी है की इस सड़े हुए खाना खाने के बाद यदि कोई व्यक्ति विमार पड़ता है तो इसका जिम्मेवार कौन होगा ? फिलहाल सीओ ने फ़ूड पैकेट वितरण का भरोसा दिया है लेकिन देखना है इस पैकेट का वितरण कब तक किया जाता है
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