राजद जिलाध्यक्ष मामला ने एक बार फिर मधुबनी राजद दो गुटों में बंट दिया है ! पिछले वर्ष मधुबनी राजद के जिलाध्यक्ष को फुलहसन अंसारी को इसलिए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था क्योकि वे मदरसा में शिक्षक थे और राजद नेता एवं पूर्व सांसद मंगनीलाल मंडल अपने अपने चाहते रामबहादुर यादव को राजद का जिलाध्यक्ष बनाया था ! परन्तु रामबहादुर यादव कार्यकर्ताओं में अपना पैठ जमाने में नाकाम रहे ! और एक बार फिर जब सांगठनिक चुनाव होने का समय आया तो पूर्व सांसद मंगनीलाल मंडल ने दो नामो का घोषणा किया रामकुमार यादव एवं रामबहादुर यादव ! लेकिन एक बार फिर नाराज कार्यकर्ताओं ने रामबहादुर यादव को नकारते हुए रामकुमार यादव को जिलाध्यक्ष चुना लिया लेकिन मंच पर बैठे नेताओं को यह मंजूर नहीं था और उन नेताओं ने एक बार फिर रामबहादुर यादव को जिलाध्यक्ष बना कर विवाद खड़ा कर दिया ! अब राजद में मामला फिर गरमा चुका है और एक खेमा राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने पटना रवाना हो गए है ! राजद के वरिष्ठ नेता राजकुमार यादव ने बताया यह पहली बार हुआ है की बिना किसी निर्वाची पदाधिकारी का सांगठनिक चुनाव कराया गया है ! वही नव निर्वाचित जिलाध्यक्ष रामकुमार यादव ने बताया हमने जिलाध्यक्ष का दावेदारी पेस नहीं किया था लेकिन जब मंगनीलाल मंडल ने मुझे जबरन उम्मीदवार बनाया और कार्यकर्ताओं ने मुझे जिलाध्यक्ष बनाया ऐसे में मैं मेरा दायित्व है की कार्यकर्ताओं के सम्मान के लिए खड़ा रहु ! लेकिन बड़े नेता अपने मन से रामबहादुर यादव को जिलाध्यक्ष चुन है जो असंबैधानिक है ! इसलिए मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने जा रहा हु उनका जो भी निर्देश होगा वह स अक्षर पालन होगा ! जबकि पहली बार फुलहसन अंसारी को शिक्षक होने की वजह से जिलाध्यक्ष पद से हटाया गया था तो एक बार फिर रामबहादुर यादव को जिलाध्यक्ष कैसे बनाया जा सकता है जबकि वह भी एक संस्कृत विधालय में प्रधानाध्यापक है !
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