कोहबर से पद्मश्री तक का मधुबनी पेंटिंग ने सफर तय कर लिया है ! मधुबनी पेंटिंग की दुनिया में अलग पहचान है ! अब तक मधुबनी पेंटिंग के पांच कलाकारों को पद्मश्री मिल चुका है ! कहते है सबसे पहले सीता विवाह में मधुबनी पेंटिंग से शहर को सजाया गया था ! और अब यही मधुबनी पेंटिंग से मधुबनी स्टेशन को सजाया जा रहा है !
मिथिला की लोक संस्कृति की झलक
लगभग सात हजार स्क्वायर फिट में मधुबनी पेंटिंग को बनाने का लक्ष्य रखा गया है और मधुबनी पेंटिंग के छियालीस थीम बनाने में एक सौ कलाकार जुटे है ! मुख्य रूप से रामायण के सीता विवाह महाभारत का कृष्ण लीला झिझिया कितकित और मिथिला के विलुप्त होते लोग संस्कृति को थीम में जगह दिया गया है ! कार्यक्रम के आयोजक महेंद्र कुमार ने बताया की एक दिन फेसबुक पर बातचीत के दौरान मधुबनी स्टेशन पर पेंटिंग बनाने का योजना बना फिर हमलोग DRM से मिले और उनके सहयोग से कार्यक्रम का आयोजन किये है ! एक कलाकार ने बतायी यह मेरा घर है और हमें इसे सजाने का काम दिया गया है !
श्रमदान से बन रहा है मधुबनी पेंटिग का विश्व कृतिमान
आपको जानकार आश्चर्य लगेगा की मधुबनी पेंटिग का इतना बड़ा योजना श्रम दान से चलाया जा रहा हैं ! इस पेंटिंग में एक सौ के करीब कलाकार पिछले पांच दिनों से लगे हुए है और अगले दो दिनों तक कार्यक्रम को संचालित करंगे ! सात दिनों तक चलने वाले इस पेंटिंग अभियान में पारिश्रमिक के तौर पर कलाकारों को कुछ नहीं मिलेगा ! दो वक्त नास्ता और खाना खाकर मधुबनी पेंटिंग का यह कलाकार भारत के सबसे गंदा स्टेशन को खूबसूरत बनने में जुटे हुए है ! एक कलाकार जो पेशे से प्रोफ़ेशर है और मधुबनी पेंटिंग बनाने में सहयोग करने के लिए छुट्टी लेकर मधुबनी पहुंच गए है उन्होंने बताया की इस रोजगार में कम पढ़े लिखे लोग है इसलिए हमने सोचा यदि हमें मधुबनी आना चाहिए मेरे रहने से कलाकारों का हौसला अफजाई होगा और हम सफल हुए है !
पहचान दिलाने के लिए जुटे कलाकार
सैकड़ो लोगो के श्रमदान से बन रहा मधुबनी पेंटिंग से जहां स्टेशन की खूबसूरती तो बढ़ेगी ही साथ ही मधुबनी स्टेशन को गंदगी से भी मुक्ति मिल जाएगा ! इस श्रमदान में बच्चे युवा महिलाओं के अलावे बूढ़े कलाकार भी बढ़ चढ़ कर भाग ले रहे है !और मधुबनी को एक अलग पहचान दिलाने के लिए दिन रात एक किये हुए है !
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