मधुबनी में 4 साल की बच्ची ने बहादुरी से बचाई अपनी अस्मत, मर कर हुई जिंदा


महज चार साल की बच्ची ने ना सिर्फ अपनी अस्मत बचाने में कामयाब हुई बल्कि अपनी बाहदुरी से आज वह जीवित भी है. उसकी सहेली के पिता ने जब उसके साथ दुष्कर्म करना चाहा तो उसने अपनी पूरी ताकत से उसका विरोध किया और सहेली के पापा ने उसका हाथ मचोर दिया आंख पर मार मार कर आंख को सुजा दिया लेकिन इस बहादुर बेटी ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार विरोध करती रही. उस दरिंदे ने उसे मरा हुआ समझ कर उसके घर के पीछे एक पानी के गढ्ढे में फेंक दिया लेकिन उसके जीने की ललक और जीवटता ने उसे जीवित बचा लिया. वह हिम्मत करके गढ्ढे से बाहर निकल गयी लेकिन तब तक उसकी हिम्मत जवाब दे चुकी थी और घर के बाथरूम के पास बेहोश हो गयी.

दरिंदे पड़ोसी ने किया दुष्कर्म का प्रयास
मामला जयनगर थाना के वार्ड नंबर दो का है जहां 11 जुलाई की रात में जब बच्ची शौच के लिए घर से निकली तो पड़ोस के रहने वाले बच्ची की दोस्त परिधि के पापा अर्थात छोटू साह ने बच्ची को कुछ पैसे दिखाकर घर के अंदर बुला लिया और घर का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. छोटू साह बच्ची के साथ दुष्कर्म करने का प्रयत्न करने लगा, लेकिन बच्ची अपने साथ हो रहे ज्यादतियों का विरोध करती रही. यह बात उस क्रूर पड़ोसी को पसंद नहीं आया और बच्ची को पिटने लगा. उसने बच्ची के हाथ मड़ोर कर आंखो पर घुसे घुसे बरसाने लगा, गाल पर तमाचे की बौछार कर दिया. लेकिन इतना कुछ होने के वाबजूद भी वह बच्ची लगातार संघर्ष करती रही. पीड़ित बच्ची के मां ने बताया की शौच के लिए बच्ची घर से निकली थी और पड़ोस के रहने वाले परिधि के पापा ने पैसे का लोभ दिखाकर मेरी बच्ची को घर के अंदर बुला लिया और दरवाजा बंद कर गलत काम करने लगा लेकिन मेरी बच्ची चिल्लाने लगी जिसके बाद उसने बच्ची को बहुत पिटा है. उसके आंख सूज गए है चेहरे पर और गला में खरोंच के निशान है.

लगातार संघर्ष करती रही बच्ची
ताज्जुब तो इस बात का है की मामले में कारवाई करने की रूचि ना तो जयनगर थाना प्रभारी ने दिखाया और ना ही महिला थाना ने. यहां  तक की बच्ची का किसी पदाधिकारी ने फर्द बयान भी लेना उचित नहीं समझा. जब मीडियाकर्मी महिला थाना पहुंचे तो थाना प्रभारी कंचन कुमारी थाने से गायब मिली. लेकिन मीडिया की सक्रियता को देखकर थाना प्रभारी ने नए प्रमोटिव महिला एएसआई को सदर अस्पताल भेज कर अपना खानापूर्ती कर लिया था. लेकिन सवाल थाना प्रभारी के संवेदनशीलता का है. जब एक बच्ची जीवन और मौत से जूझ रही है और थाना प्रभारी ने बच्ची का फर्द बयान भी लेना उचित नहीं समझा. पीड़ित बच्ची के पिता ने बताया की बच्ची को उसने हमारे घर के पीछे पानी वाला गढ्ढा में फेंक दिया गया था हमलोगों ने धप्प की आवाज सुनी तो आवाज के पीछे गए लेकिन तब तक बच्ची हिम्मत करके गड्ढे से निकल आयी थी. लेकिन घर पहुंचने से पहले बच्ची बेहोश होकर वहीं गिर गयी. जिसके बाद हमलोगों ने उसे इलाज के लिए अस्पताल ले गये. मधुबनी एसपी दीपक वरनवाल ने बताया की महिला थाना प्रभारी से हम स्पष्टीकरण ले रहे हैं. हमें मामले की जानकारी नहीं मिली थी, किसी ने हमें या जयनगर डीएसपी को घटना के सन्दर्भ में जानकारी नहीं दी गई थी. मामला जब हमलोगों के संज्ञान में आया है तो मामला दर्ज करने का निर्देश दे दिया गया है. मामले में संलिप्त अपराधी बच नहीं पाएंगे. हमारा प्रयास होगा कि उन्हें जल्द से जल्द सजा दिलाया जाय. फिलहाल पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर बच्ची को उचित मुआवजा भी दिलाने का प्रयत्न करेंगे.

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क्या पीड़ित बच्ची को मिलेगा इन्साफ ?
नैंसी मामले का अभी पटाछेप भी नहीं हुआ की एक और नैसी का मामला सामने आ गया है. लेकिन चार साल की इस बहादुर बेटी ने अपनी जान के साथ साथ अपनी अस्मत को बचाने में कामयाब रही. लेकिन यहां सवाल बड़ा है आखिर नैतिकता की पतन की ओर जा रहे समाज से यह बेटियां कब तक जूझती रहेगी ? सवाल प्रशासन से भी है आखिर 48 घंटे तक प्रशासन को खबर कैसे नही लगी ? क्या पुलिस तंत्र कमजोर हो चुका है ? ऐसे में अब देखना है की थाने की लापरवाही के बाद मीडिया की तत्परता के कारण हरकत में आयी प्रशासन कब तक इस बच्ची को इन्साफ दिला पाती है.

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