फर्जी शिक्षक नियोजन पर निगरानी की पड़ी नजर दर्ज कराया प्राथमिकी, शिक्षिका ,तत्कालीन प्रमुख व तत्कालीन बीईओ को बनाया नामजद अभियुक्त


न्यूज डेस्क, पटना 
फर्जी शिक्षक नियोजन मामले मे निगरानी विभाग ने कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए थाना मे नामजद अभियुक्तों पर मामला दर्ज कराया है । मामला वर्ष 2006 का हैं । इसी वर्ष फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक का बहाली हुआ था । हाइकोर्ट के आदेश पर निगरानी ने जांच के बाद  आगे की कारवाई के झंझारपुर थाना में एफआईआर दर्ज कराया है । शायद यह मामला रफा दफा हो जाता लेकिन हाइकोर्ट के आदेश पर हुई जांच हुई और जांच मे पाया गया को कई व्यक्ति फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र के सहारे शिक्षक बन गए है, हालांकि अब इन लोगों पर गाज गिरनी तय माना जा रहा है । फिलवक्त झंझारपुर प्रखंड के झौआ उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पदस्थापित शिक्षिका शीला कुमारी के अलावा वर्ष 2006 में कार्यरत प्रखंड प्रमुख और बीईओ को नामजद करते हुए झंझारपुर थाना में धोखाधड़ी, ठगी और जालसाजी फरेबी की एफआईआर दर्ज कराई गई है। मुज़फरपुर प्रक्षेत्र के निगरानी अन्वेषण ब्यूरो इंस्पेक्टर रंजन कुमार सिंह के आवेदन पर मामला दर्ज किया गया है।

क्या है मामला---एक जनहित याचिका के आदेश में माननीय हाइकोर्ट ने वर्ष 2006 से 2015 तक पूरे बिहार में नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र के जांच का आदेश दिया। आदेश के आलोक में  निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पटना के आदेश पर मधुबनी जिले की जांच शुरू हुई। जांच के आलोक में झंझारपुर प्रखंड स्थित झौआ में पदस्थापित शिक्षिका शीला कुमारी (पति महेश्वर प्रसाद सिंह, दोनवारी हाट, तेघरा, बाबूबरही थाना की स्थायी निवासी) का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। जांच अधिकारी ने लिखा है कि शीला कुमारी ने इंटर 2005 में झारखंड एकेडमिक कौंसिल रांची से प्रथम श्रेणी में उतीर्ण होने का प्रमाण पत्र दिया। रॉल नंबर 10439 कोड 9102 है। जांच में पाया गया कि उक्त रॉल और कोड से कोई एस आलम का पुत्र सरफरोज आलम परीक्षा दिया था और वह अनुतीर्ण था। इसी रिपोर्ट के आधार पर फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी पाने का मामला दायर हुआ है।  कयास लगाया जा रहा है कि इस तरह की कई और मामले हैं जिनका उद्वभेदन होना बांकी है ।

निगरानी के जांच अधिकारी रंजन कुमार सिंह ने कहा कि उक्त शिक्षिका का नियोजन में तत्कालीन प्रखंड प्रमुख सह नियोजन इकाई के अध्यक्ष और तत्कालीन बीईओ सह नियोजन इकाई के सचिव की मिलीभगत से हुआ है । साथ ही शिक्षिका को फर्जी प्रमाण पत्र कहा से मिला इस बात की भी जांच आवश्यक है। इसी कारण तीनो को नामजद किया गया है। थानाध्यक्ष ब्रह्मदेव सिंह ने कहा कि कांड संख्या 177/18 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस करवाई के बाद फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे नियोजन पर शिक्षक बने लोगो में बेचैनी बढ़ गई है।

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