क्या जात विशेष का हूँ तो न्याय का उम्मीद नहीँ कर सकता ,लालू जी का बेटा लालू जी से अधिक जातीयता फैलाने वाला :नीतीश मिश्रा


पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नितीश मिश्रा आज मधुबनी के सर्किट हाउस पहुंच कर संबाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुई राजद पर जमकर बरसे ! उन्होंने कहा न्यायपालिका को आज जातीय दृश्टिकोण से बांटने का प्रयत्न किया जा रहा है !राजद के नेता यह भूल गए है की आज न्यायालय से डॉ जगरनाथ मिश्रा ही नहीं बरी हुए है बल्कि उन्ही के पार्टी के नेता विध्या सगार निषाद को भी बरी किया गया है ! और आज वे एक झटके में अपने अपने इतने बड़े नेता को भूल गए है !वे राज्य में मंत्री रह चुके है ! और दूसरी बात यह है दोनों का मामला अलग अलग है उस समय लालू जी निर्णय लेने की स्थिति में थे और डॉ मिश्रा जी नेता प्रतिपक्ष थे ! हां उन्होंने सिर्फ तीन अनुसंसा पत्र लिखा है !यह हंगामा राजद के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है आज से बिस वर्ष पहले भी राजद के लोग यह कहते थे लालू को जेल और मिश्रा को बेल जब 1997 में डॉ मिश्रा को अग्रिम जमानत मिला था ! राजद के लोगों को यह नहीं करना चाहिए न्यायालय के प्रति सम्मान रहना चाहिए ! मेरा व्यक्तिगत सोच था की लालू जी का जो सोच था आज उनके बेटो का उनसे अलग सोच होगा ,नयी पीढ़ी के है लेकिन मुझे बहुत दुःख है उनके बेटे आज भी वही जातीय जहर फैलाना चाह रहे है ! तेज प्रताप ने तीन ट्वीट किया था जो जात के आधार पर किया ! वे मंत्री रह चुके है और रघुबंस बाबू राज्य और केंद्र में मंत्री रह चुके है और मंत्री यह सपथ लेते है मै सभी को समान दृश्टिकोण से देखूंगा लेकिन उनका इस तरह का बयान सही नहीं है ! यदि मैं जात विशेष का हो जाता हु तो क्या न्याय का उम्मीद नहीं कर सकता हु ! 2014 में रांची की कोर्ट ने डॉ मिश्रा के सभी केस को ख़ारिज कर दिया गया था जबकि लालू जी पर सभी मामले वैसे ही चल रहे थे ! आज से साढ़े तीन चार साल पहले ही डॉ मिश्रा बरी हो गए थे वह तो सीबीआई सुप्रीम कोर्ट गयी जिसके कारण मामला इतना समय तक चला है ! यदि आज आप न्यायपालिका को जातीय एंगल से देख रहे है तो पता नहीं राजद के लोग देश को कहा ले जाना चाहते है ! डॉ मिश्रा के इंटरव्यू पर उन्होंने कहा 1988 में जब डॉ मिश्र मुख्यमंत्री नहीं थे और सी बी आई ने उस समय उन्हें मुख्यमंत्री दिखाया है और महामहिम से स्वीकृति लिया है इसे मैं क्या मानु कही ना कही डॉ मिश्रा के साथ गलत हुआ है ! डॉ मिश्र का पचास वर्षो का सार्वजनिक जीवन रहा है मैं और इसपर टिप्पणी करू यह सही नहीं है !

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