बाढ़ की विभीषिका से जूझता जिला




मानवता को ताक पर रख हो रही बाढ़ पर राजनिती को देख शर्म से आँखे झुक जाती है ।madhubanimedia.com की पहल पर राजनगर प्रखंड के कोइलख पंचायत के मुखिया ने बाढ़ पीड़ितों के लिए खाने की व्यवस्था की लेकिन यहाँ न तो कोई सांसद मदद को पहुचा और न ही विधायक जी ही .... आश्चर्य की बात तो यह है कि जब से चुनाव जीते है विधायक जी तब से दर्शन तक उन्होने नही दिया .. कई लोग तो उन्हे पहचानते भी नही है ।इस गाँव मे कभी बाँध पर बच्चा जन्म ले रहा है तो हर दूसरे दिन साँप काटने या डूबने से मौत हो रही है .चारो ओर पानी से घिरे इस पंचायत मे पहुँचने के लिये तीन किलोमीटर तक पानी के रास्ते जाना पड़ता है .फिलहाल यहाँ ndrf की टिम है राहत सामग्री वालों को गाँव तक पहुँचा रहे है .
राहत के लिए मारा मारी 
जब राहत सामग्रियों के साथ सबसे प्रभावित क्षेत्र हरलाखी विधानसभा के करहारा पंचायत पहुंचे तो इंसानियत रोने लगी । बाँध पर सैकड़ो की संख्या में महिला बच्चे खड़े नजर आए । लोगो को पता नही था कि नाव में राहत सामग्रियाँ है लेकिन फिर भी वे एक आश लगाए एक किलोमीटर तक बांध पर दौड़ते हुए उनके पास पहुंचे । छोटे छोटे बच्चे , बुजूर्ग और महिलाए सभी नाव देख रहे थे । तभी जैसे ही बिस्कुट का पैकेट निकाल उन्हे बांटा गया लोग एक दुसरे पर टूट पड़े ।  लोग अपनी जान की परवाह किये बैगैर अपने हिस्से की बिस्किट और नास्ता का पैकेट लेना चाहते थे ताकि ख़त्म होने से पहले उनका हिस्सा उन्हें मिल जाए  । जिसके बाद स्थानीय विधायक RLSP के सुधांशू भी पहुंचे थे मगर खाली हाथ एक जगह रुके लोगो से उनका हाल पूछा फोटो खिंचायावे और वापस चलते बने । 
बाढ़ बन चुका नियती  

अब बारी थी अल्पसंख्यक समाज के मुहल्ले मे जाने की क्योकि यह सुचना मिली थी कि वहाँ राहत नही पहुच रहा है। वास्तविकता  में ऐसा ही था । ये पहले व्यक्ति थे जो राहत सामग्री के साथ करहारा के मुस्लिम टोले में पहुंचे थे ! महिला बच्चे का हुजूम लग गई । सभी राहत का लाभ लेना चाहती थी । मौके पर उपस्थित लोगो से जब यह बात की गयी कि क्या कभी सांसद और विधायक यहाँ पहुंचे है । तो उनका सीधा जबाब था नही । 
नेताजी काम नहीं आये 
बाढ़ को अपना भाग्य मान चुके इस पंचायत के लोगो के पास कुछ दाल चावल बचे है जो जल्द ही ख़त्म हो जाएंगे ! कुछ घर तो पूर्णतया डुब चुका है और इन घरो के बच्चे बूढ़े महिला हर नाव पर टकटकी लगाए राहत सामग्री का इन्तजार करते रहते है । लोकतंत्र का दुर्भाग्य है की इतनी बड़ी विपदा में भी नेताजी सेल्फी खिचवा लेते है जनता के हितैषी बनते है लेकिन अपनी तनखा से एक पैकेट बिस्कुट खरीदना भी मुनासिब नही समझते ।

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