न्यूज डेस्क पटना
नीरज कुमार सिंह,पिंटू
नीरज कुमार सिंह,पिंटू
जिस देश का सांसद दस लाख का शौचालय इस्तेमाल करते है उस देश की जनता को दस लाख का पूल भी नसीब नहीं है !लोग हर यात्रा में मौत से रूबरू होते है और जान हथेली पर लेकर उस पंद्रह मीटर के पुल के ऊपर से गुजरते है ! हम बात कर रहे है कोसी दियारा क्षेत्र की लाइफ लाइन माने जानेवाली एक स्क्रू पुल की ! यह पुल की जर्जरता किसी अभिशाप की तरह है ! मौत का यह पुल है मधेपुर प्रखंड के खरीक गांव में है, पूर्वी भूतही बलान नदी पर करीब 15 वर्ष पहले इस पुल का निर्माण हुआ था ! यह स्क्रू पाइल्स पुल अब आदमी तो क्या मवेशी के चलने लायक भी नहीं रहा है, लेकिन अभिशाप यह है की इस क्षेत्र के लगभग एक लाख की आबादी को हर-रोज हाट, बाजार, अस्पताल, बैंक जैसे बुनियादी कार्यो के लिए इस पुल का इस्तेमाल करना पड़ता है !
तत्कालीन सांसद देवेंद्र प्रसाद यादव ने कराया था पुल का निर्माण
कोसी दियारा क्षेत्र को प्रखंड मुख्यालय से जोड़ने वाली इस इकलौते पुल का निर्माण तत्कालीन सांसद देवेन्द्र प्रसाद यादव ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना से वर्ष 2003 में करवाया था । जिसके बाद से किसी ने पुल की मरम्मत की दिशा में कोई पहल नहीं किया और पुल खंडहर में तब्दील हो गया ! पुल से गुजरना किसी मौत को दावत देने से कम नहीं है ! बाइक सवार हो या पैदल यात्री या फिर चार पहिया वाहन हर कोई जान हथेली पर रख कर ही इस पुल को पार करते है ! हालांकि किसान मवेशियों को पुल के ऊपर से नहीं ले जाते है, कारण बहुत ही दर्दनाक है ! दरअसल पुल में जगह जगह दरारें आ चुकी है और कई बार इन दरारों में मवेशी का पैर फस जाता है और टूट जाता है ! साथ ही कई बार घाव इतने गहरे हो जाते है की मवेशियों का मौत भी हो जाता है ! सर्दी हो या बर्षात इन मवेशियों को नदी के रास्ते ही गुजरना पड़ता है ! स्थानीय टेम्पो चालकों ने बताया कि पुल पार करते समय कई बार टेम्पो फस जाता है और फिर यात्रियों के मदद से धक्का लगाकर फसे हुए टेम्पो को निकाला जाता है ! चालक ने बताया की जब पुल से कोई वाहन गुजरता है तो पुरा पुल हिलने लगता है ! मौत के इस पुल से सैकड़ो वाहन रोजाना गुजरते है और भगवान से दुआ करते है किसी तरह इस मौत के पुल से सुरक्षित निकाल जाय ! अब देखना है विकास का दावा करने वाली सरकार की नजर कब इस पुल पर पड़ती है !
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